गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

निरंतर बुलंदी पर कोई ना रहता


314—02-11

ना कोई आम होता
ना कोई ख़ास होता
आज अर्श पर तो 
कल फर्श पर होगा
आज रंक कल राजा
 होगा
कौन जानता कल
क्या होगा?
क्यूं फिर इंसान
बहकता?  
अर्श पर घमंड से
चूर होता
निरंतर बुलंदी पर
कोई ना रहता
हर इंसान का वक़्त
बदलता
खेल किस्मत का
चलता रहता
24-02-2011
अर्श =आसमान
डा.राजेंद्र तेला"निरंतर",अजमेर
  

3 टिप्पणियाँ:

Mithilesh dubey ने कहा…

ना कोई आम होता
ना कोई ख़ास होता
आज अर्श पर तो
कल फर्श पर होगा
आज रंक कल राजा

sundar post.
aabhar

शिव शंकर ने कहा…

bhut khubsurt dhang se parastut kiya. aabhar

Minakshi Pant ने कहा…

khubsurat rachna

Add to Google Reader or Homepage

 
Design by Free WordPress Themes | Bloggerized by Lasantha - Premium Blogger Themes | cna certification